हर पल दा, ओ दातिए, शुक्राना तेरा ll
जो भी, मेरे पास है वोह ll, नज़राना तेरा,,,
हर पल दा, ओ दातिए,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
मुझ पे, हर पल, तेरी इतनी, किरपा होई ll
देख के, तेरी किरपा मेरी, आँखे रोई ll
तूँ जाने, देने का क्या है ll, बहाना तेरा,,,
हर पल दा, ओ दातिए,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,F
यह, अहसास है, मुझको यही, दिल ने माना ll
तेरी, किरपा बड़ी, दाती मेरा, छोटा शुक्राना ll
तूँ मुस्काए, तो होता है ll, मुस्काना मेरा,,,
हर पल दा, ओ दातिए,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,F
तेरी किरपा, की छाया हो, ज्ञान के सर पे ll
कहे, पुनीत मैं बैठा रहूँ, बस तेरे दर पे ll
शायद तुझको, भा गया है* ll, झुक जाना मेरा,,,
हर पल दा, ओ दातिए,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,F
अपलोडर- अनिलरामूर्तिभोपाल