राधा बन गई, जिलाधीश और, ललिता बनी कप्तान,
कि पकड़े, गए कृष्ण भगवान ॥
एक सखी के, घर में जाकर, माखन, खाने, लगे चुराकर ॥
जाग, गई वो, चतुर गुजरिया...हो... ॥ पकड़, लिए दोऊ कान,
कि पकड़े, गए कृष्ण भगवान ॥
पकड़, लिए जब, कृष्ण मुरारी, ख़ुशी, हुई सब, बृज की नारी ॥
सब, सखियन के, बीच में अब तो...हो... ॥ विगड़, रही है शान,
कि पकड़े, गए कृष्ण भगवान ॥
नंद बाबा की, धियोनि पे जा के, पेश किया, मुजरिम को ला के ॥
कहे, विशाखा, इस मुज़रिम ने...हो... ॥ किया, बड़ा नुकसान,
कि पकड़े, गए कृष्ण भगवान ॥
कहे मनसुखा, सुन मेरे बाबा, इन सखियों का, झूठा दावा ।
ऊँचा, छीका, हाथ न आवे...हो... ॥ हम, बालक नादान,
कि पकड़े, गए कृष्ण भगवान ॥
नंद बाबा ने, छींका मंगवाया, बीच, अदालत, के टंगवाया ॥
ऊँचा, छींका, हाथ न आया...हो... ॥ बरी, हुए भगवान,
कि अब तो, बरी हुए भगवान ॥
राधा बन गई, जिलाधीश और, ललिता बनी कप्तान,
कि अब तो, बरी हुए भगवान ॥
अपलोडर- अनिलरामूर्तिभोपाल