गोकुल में, शोर मचाया,
श्याम, मटकी, फोड़ने आया ॥
कभी, गोर्वधन, गिरधारी है ।
कभी, चक्र, सुर्दशन धारी है ॥
वो तो, रूप, बदल कर आया है,
श्याम, मटकी, फोड़ने आया ।
गोकुल में, शोर मचाया...
कभी, दही, चुराकर खाता है ।
कभी, माखन, वो ले जाता है ॥
वो तो, गईया, चराने आया है,
श्याम, मटकी, फोड़ने आया ।
गोकुल में, शोर मचाया...
वो तो, ग्वाल, बाल संग लाया है ।
उसने, ही रची, सब माया है ।
वो तो, प्रेम, सिखाने आया है,
श्याम, मटकी, फोड़ने आया ।
गोकुल में, शोर मचाया...
छोटे, हाथो में, मुरली साजे ।
पांव मे, उसके, घुघरू बाजे ॥
वो तो, रास, रचाने आया है,
श्याम, मटकी, फोड़ने आया ।
गोकुल में, शोर मचाया...
अपलोडर- अनिलरामूर्तिभोपाल