माँ कालका चण्डी रूप धारया
चण्ड मुण्ड चुन्न चुन्न सी मारिया
कट्टे भगता दे दुखा वाला गेड़ा
माँ जिथे काली पैर धरदी
जान धरती नू पैंदीया तरेड़ां...
तांडव करदी माँ महाकाली
लहू दे खप्पर करी जावे ख़ाली
भदरकली दी झलक तो डरदे
बड़े बड़े योद्धे बलशाली
मारे पापीआँ दे खिच के चपेड़ा
माँ जिथे काली...
रक्तबीज जद माया दिखाई
क्रोध में आ गई कालका माई
इक कतरे तो लखां बन गए
देवी देव जाँदे घबराई
कीता धड़ो वख मोहरे आया जेड़ा
माँ जिथे काली...
दया करो माँ भद्रकाली
भगतों की तूँ ही रखवाली
माँ काली का जो भी नौकर
मार सके ना कोई ठोकर
लवली-दीपक माँ बन गया तेरा
आवे मोहरे फेर जम्म्या ऐ केड़ा
माँ जिथे काली...