तरज - दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे पास
तुम हो जगत के स्वामी , ओ मेरे जगन्नाथ
हम आए गए पूरी में , ओ मेरे दीनानाथ
समय का मैं हूं मारा तो तेरे दर पे आया
आकर के प्रभु जी तेरा दरवाजा खटकाया
तुम हो जब साथ मेरे , फिर बच्चे क्यों अनाथ
हम आए गए पूरी में , ओ मेरे दीनानाथ
क्या मैं बताऊं बाबा कौन सी घड़ी है
बच्चो पर तेरे बाबा मुश्किल बड़ी है
सोचू मैं हर बारी , तुम हो मेरे साथ
हम आए गए पूरी में , ओ मेरे दीनानाथ
लकी को प्रभु मेरे पूरी में रख लो
विनती यही है प्रभु चरणों में रख लो
रख दो मेरे सीर पर , अपने ये दोनों हाथ
हम आए गए पूरी में , ओ मेरे दीनानाथ