कर ले प्रभु से प्यार,नही पछताएगा,
झूठा है संसार, धोखा खाएगा ,
माया के जितने धन्धे,सब झूठे है बंदे,
उनके तन उजले मन गंदे,अँखियो से बिल्कुल अंधे,
नज़र क्या आएगा ....
मात-पिता सुत नारी,मतलब की रिस्तेदारी,
जब चलेगी तेरी सवारी,रह जाएगी दोलत सारी,
संग नही जाएगा........
ले मान गुरू का कहना,दिन चार यहा पर रहना,
सुख दुःख सबको सहना,पर हरि भजनो मे रहना,
काम ये आएगा....
धन-दोलत माल खजाना,ये संग तेरे नही जाना,
पङेगा तुझे पछताना,जब होगा यहा से रवाना,
धरया रह जाएगा.....
थाने सदानन्द समझावे,नर तन फिर हाथ ना आवे,
यमदूत पकङ ले जावे,फिर सिर धुन-धुन पछतावे
कोन छुङवाएगा.....
रचनाकार:-स्वामी सदानन्द जोधपुर
M.9460282429