जय जय भोला भंडारी जय जय भोला भंडारी।
तेरा रूप निराला दुनियाँ जाये है वारी।
शीशजटा में गंग बिराजे भाले चंद्र सुशोभित है।
त्रिनेत्र कानों में कुण्डल देखके दुनियाँ मोहित है।
जिनकी गौरी है नारी करते बैल सवारी।।
त्रिपुण्ड लगा है ललाट सजा है गले में नाग काला है।
मंद मंद मुस्काये भोला ऐसा रूप निराला है।
पीछे भूतों की लारी दर्शन पाये नर नारी।।
तन पे विभूति रमाये भोला और ओढ़े मृगछाला है।
सिंगी नाद कर डमरू बजाये और गले में हाला है।
अनुरोध त्रिपुरारी दर्शन देओ अविकारी।।
रचना -राम श्रीवादी अनुरोध
आष्टा मध्यप्रदेश