दर का भिखारी शम्बू मुझे ठुकराना ना

दर दा भिखारी शम्बू, मैनू ठुकरावीं ना ।
जग ने रुलाया शम्बू, तू वी रुलावी ना ॥

चाँद ते सितारे तेरी आरती उतारदे,
गांदे ने गीत भोले नित्त तेरे प्यार दे ।
दासां तो उदास होके, दर तों उठावी ना,
जग ने रुलाया शम्बू, तू वि रुलावी ना ॥

धी पुत्त सो सो गलतीयां करदे,
माँ बाप ज़रा वी ना वलवला करदे ।
गलतियाँ मेरिया नु, दिल ते लावी ना,
जग ने रुलाया शम्बू, तू वि रुलावी ना ॥

तेरा दर छोड़ के कहदे दर जावां,
जग है पराया, किसे अपना बनावा ।
सारे दर के छोड़ के मैं तेरा दर मलेआ,
जग ने रुलाया शम्बू, तू वि रुलावी ना ॥
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