मुरली मधुर बजा दे कान्हा,
अधरन पे तोरी मैं लूट जाऊँ,
मन्द मन्द मुस्का दे कान्हा,
मुरली मधुर बजा दे कान्हा...
मटकन पे तोरी मैं मिट जाऊँ,
नैनन बाण चला दे कान्हा,
मुरली मधुर बजा दे कान्हा....
संग ग्वाल आ अंगना मोरे,
माखन दधि तू चुरा ले कान्हा,
मुरली मधुर बजा दे कान्हा.....
तुम्हे छोड़ ना चाहूँ अरु कछु,
ऐसो भाव जगा दे कान्हा,
मुरली मधुर बजा दे कान्हा ....
आभार: ज्योति नारायण पाठक