जग विच धुमा तेरिया जगदम्बे माँ ॥
सुण लै माँ दो गल्ला , कोल वैह के मेरिया
जग विच………
माँ वैष्णो मेरी वी तू बेड़ी तार दे,
मैं बछड़ा माँ तेरा मावां वाला प्यार दे ॥
सुण लै मेरी माँ दुहाई ॥, या तू ठोकर मार दे,
जग विच………
विच काँगड़ा मंदिर तेरा सझदा पेया ,
कोई न मुढ़िया खाली जेहड़ा दर ते आ गया ॥
शक्ति वी भगती वी ॥,मेरी दाती वी मिले
जग विच…..
माँ वैष्णो जग मग तेरी जोत जगे ,
बड़े बड़े अपराधी तेरे चरणी आ लगे ॥
कर सनान गंगा बाण ॥, ऐथे हर कोई तर गया,
जग विच............
स्वर:-अमित शालू जी
फगवाड़े वाले
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