कन्हैया तेरी बांकी अदाओं ने मारा,
बिसर गयी मोहे सुध तन मन की,
मैंने जबसे रूप निहारा ,
कन्हैया.......
रूप सलोना मधुर सलोना,
चलते चलते करदे टोना,
अधर सुधार रस बरसे मधुर रस,
और बरस रही रस धारा,
कन्हैया......
बांके की सुन बांकी मुरलिया,
बांकी हो गयी नर गुजरिया,
दिन का चैन रेन की निदिया,
मेरा लूट लिया सुख सारा,
कन्हैया......
मैं शरमाऊ मर मर जाऊ,
अपने श्याम को कैसे मनाऊ,
हे गोविन्द मुकुद हरी,
अब पकड़ो हाथ हमारा
कन्हैया......