मेरी श्यामा जो वृंदावन बसा लोगी तो क्या होगा,
मेरे बांके बिहारी से मिला दोगी तो क्या होगा,
तड़पती हूं मैं आहे भर,
सहारा कुछ ना दिखता है,
भरोसा श्याम चरणों में लगा दोगी तो क्या होगा,
मेरी श्यामा जो.....
श्री यमुना किनारे पर,
बनी कुंजों की कुटिया में,
मेरे राधा रमण बैठे,
दिखा दोगी तो क्या होगा,
मेरी श्यामा जो.......
जो देखा रसिकों ने वो वन,
सदा गुलजार रहता है,
वहीं रस दिव्य वृंदावन,
दिखा दोगी तो क्या होगा,
मेरी श्यामा जो.....
सदा झाडु लगाकर के,
मैं नाचूंगी ओ गाऊंगी,
रंगीली अपनी दासी को,
बुला लोगी तो क्या होगा,
मेरी श्यामा जो.......