बहन अपना दुःख भाई को बताती है

आ रे बीरा पैदा एक शरीर के किस्मत न्यारी न्यारी रे - 2

  1. आ रे बीरा तू तो खेलन जावे से
    मैं तो गोबर गेरू दिन  रात
    के किस्मत न्यारी न्यारी रे
    आ रे बीरा पैदा एक शरीर के किस्मत न्यारी न्यारी रे - 2

  2. आ रे बीरा तू तो पदन जावे से
    रे मैं खेत कमाऊ दिन रात
    के किस्मत न्यारी न्यारी रे
    आ रे बीरा पैदा एक शरीर के किस्मत न्यारी न्यारी रे - 2

  3. तेरी घी की रोटी रे
    आ रे बीरा तेरी घी की रोटी रे
    रे मेरी रोटी की बड़ी बात
    के किस्मत न्यारी न्यारी रे
    आ रे बीरा पैदा एक शरीर के किस्मत न्यारी न्यारी रे - 2

    4.रे मेरी शादी होगी रे
    रे मैंने  मिला भरतार
    तेरी शादी होगी रे
    तेरी गेल्ले माँ बाप
    के किस्मत न्यारी रे
    आ रे बीरा पैदा एक शरीर के किस्मत न्यारी न्यारी रे - 2  

  4. आ रे यो मोहन बतावे से
    आ रे यो मोहन बतावे से
    इनने दुखी देखा घात
    आ रे यो मोहन म्हारा दुःख बतावे से
    यो म्हारी अच्छी किस्मत दिन रात
    आ रे बीरा पैदा एक शरीर के किस्मत न्यारी न्यारी रे - 2

    लेखक - मोहन शर्मा
    जींद, हरियाणा  
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