रब दुरो दुरो वेख रहा

रब दुरो दुरो वेख रहा किदा बन्दा मेनू वेच रहा
लंगर लाउंदा टल वजाउंदा मथे भी ओह खूब कसौंदा
मेरी बनाई दुनिया नु ओह वेह्वमा दे विच डेग रिहा
रब दुरो दुरो वेख रहा किदा बन्दा मेनू वेच रहा

एह जो रंग बिरंगे वाने आपे बन गे साद सयाने,
लोका दे विच अग लगा के अपनी रोटी सेक रेहा
रब दुरो दुरो वेख रहा किदा बन्दा मेनू वेच रहा

मन्दिर मश्जिद ते गुरुद्वारे रब नु मिल्न दे ने सहारे,
रब नु कद इस विचो बन्दा झूठी दोलत ही समेट रेहां  
रब दुरो दुरो वेख रहा किदा बन्दा मेनू वेच रहा

आजो सारे भ्रम भुला के सचे मन दी ज्योत जगा के,
सब ली जो अरदास करे राजे ओही बन्दा नेक रिहा
रब दुरो दुरो वेख रहा किदा बन्दा मेनू वेच रहा
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