माँ की ज्योति जले,
माँ के जैसे ज़माने में कोई तो नहीं,
मुझे पर्वत पे मैया के ज्योति जले,
माँ के जैसे ज़माने में कोई तो नहीं,
होता खाली न माँ का खजाना कभी,
मांगे माँ से मुरदे ज़माना सभी,
झोली भर के सभी माँ के दर से चले,
माँ के जैसा ज़माने में कोई तो नहीं,
माँ के चरणों में झुकता से संसार है,
सबको मिलता बराबर माँ का प्यार है,
चाहे राजा हो हो या भिखारी भले,प्यार सबको मिले,
माँ के जैसा ज़माने में कोई तो नहीं,
माँ के द्वारे पे निर्बल को शक्ति मिले,
दीन दुखियो को दुःख से मुक्ति मिले,
माँ के चौखठ पे निर्धन को माया मिले,
दर पे कोडीन को कंचन सी काया मिले,
माँ अन्थो को अपने लगती गले,
माँ के जैसा ज़माने में कोई तो नहीं,