नवमी का नवरात्र ही पूरण कराए काम।
सिद्धिधात्री रूप को करते सभी प्रणाम॥
चरुत्भूजी दर्शन दिया कमल पुष्प आसन।
शंख चक्र गदा लिए करती जग शासन॥
अमृत पद शिव को दिया अंग संग मुस्कान।
सब के कष्टों को हरो देकर भक्ति ग्यान॥
दिखलाती हो आप ही सूर्य चन्द्र आकाश।
देती सभी दिशाओं को जल वायु प्रकाश॥
वरद हस्त हो आपका सुख समृधि पाए।
इधर उधर ना भटकूँ मैं मुझ को भी अपनाए॥
नवरात्रों की माँ कृपा करदो माँ।
नवरात्रों की माँ कृपा करदो माँ॥
जय माँ सिद्धिधात्री।
जय माँ सिद्धिधात्री॥