मायड़ म्हारी ए मै तो श्याम शरण में जाऊं

मायड़ म्हारी ए मै तो श्याम शरण में जाऊं,मायड़ म्हारी ए मै तो श्याम शरण में जाऊं।।
श्याम शरण में सारा सुख हैं, फिर मै क्यूँ दुःख पाऊं। मायड़ म्हारी ए मै तो श्याम शरण में जाऊं।।
श्याम शरण में गयी द्रौपदी, श्याम की टेर लगाई-२, भरी सभा में चीर बढ़ा कर उसकी लाज बचाई ।।१।।
श्याम शरण गया रे पाण्डव, श्याम से आस लगाई-२,कुरुक्षेत्र म युद्ध हुयो हो, उसमे जीत कराई।।२।।
श्याम शरण में गयी रे कर्मा, श्याम से सुरत लगाई-२, धाबळीया के ओ ल बैठ कर श्याम खिचड़ी खाई।।३।।
श्याम शरण में गयी रे मीरा, श्याम सूं प्रीत लगाई-२, इमरत करके विष ने पी गयी,बाघ ने गाय बणाई।।४।।
श्याम शरण में गयो रे नरसी, सारी बात बताई-२, सेठ सांवरो बण के मोहन नैनी ने चुनड़ी उढ़ाई।।५।।
अजामील, गज, गणिका तारी, तर गयो सजन कसाई-२, सेन भक्त को साँसों मेट्यो, श्याम बण्यो हो नाई।।६।।
कव्हे "लक्ष्मी" जो नर-नारी श्याम से सुरत लगाई-२, धरती पे सुख भोग करे फिर बैकुण्ठा फळ पाई।।७।।

भजन रचयिता-विजेन्द्र शर्मा "बिन्दाजी"
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