तरज़-मेरे बांकें बिहारी मेरे बांकें सनंम
छंद-बृज़ भुमि परिक्रमा के पत्थ पे,
तुम्हें ढुंढनें के लिए डेरा किया।
पर पाया पता कहीं भी नहीं,
दुख शोक ने आकर घेरा किया॥
बड़ी वैदना व्याकुलता इतनी,
तुमनें कभी ध्यान ना मेरा किया।
दिन रोत ही रोते अंधेरा किया,
फिर रोते ही रोते सवेरा किया॥
मेरे बांकें बिहारी तुझे डुंडु कहां,ये बता दे
मुझे तुं छुपा हैं जहां
मेरे बांकें बिहारी तुझे डुंडु कहां...
वृन्दावन में डुंडु,तुझे कुंजन में डुंडु
तूं इतना ना यार,अब मुझको सता
मेरे बांकें बिहारी तुझे डुंडु कहां,ये बता दे
मुझे तूं छुपा हैं जहां
मेरे बांकें बिहारी तुझे डुंडु कहां...
तुझे गोकुल में डुंडु,तुझे गलियों में में डुंडु
धरती पे हो श,या हो आसमां
मेरे बांकें बिहारी तुझे डुंडु कहां,ये बता दे
मुझे तूं छुपा हैं जहां
मेरे बांकें बिहारी तुझे डुंडु कहां...
पागल बना डोले,धसका तेरे लिए
कोई ना बताये,फिर भी तेरा पता
ये बात दे मुझे तूं छुपा हैं जहां
मेरे बांकें बिहारी तुझे डुंडु कहां...
बाबा धसका पागल पानीपत