एक नहीं दो दो नहीं चार मेरे भोले बाबा हो रही थारी जय जय कार,
धन धन भोले नाथ तुम्हरे कोड़ी नहीं तुम्हारे खजाने में,
तीन लोक बस्ती में वसाये आप वैसे वीराने में,
बैठे पहाड़ जाके छोड़ा घर बार,
मेरे भोले बाबा हो री थारी जय जय कार,
काशी में विश्व नाथ विराजे उजेनी महाकाल,
करे अभिशेख तेरा कावड़िये सावन में हर साल,
भगतो को रवे बाबा तेरा इंतज़ार,
माहरे भोले बाबा हो रही थारी जय जय कार,
कोई चढ़ावे दूध का लोटा कोई ले आवे भांग प्रभु,
छपन भोग लगाए कोई आवे ठन ठन पाल प्रभु,
सुनले आलोक थारा करे है पुकार,
माहरे भोले बाबा हो रही थारी जय जय कार,