माता अंजनी के प्यारे श्री राम की आंख के तारे,
विश्व मंगल हनुमान तुम्हरा क्या कहना,
कालखड़ी है धाम तुम्हारा क्या कहना,
तुम्हारा क्या कहना
श्री राम दूत बन आया सीता का पता लगाया,
इक मुके में अक्षये को तुम ने याम लोक पठाया,
लंका में आग लगाईं लंकेश की शान घटाई,
तुम हो शक्ति की खान तुम्हारा क्या कहना,
कालखड़ी है धाम तुम्हारा क्या कहना,
लक्ष्मण को मुरशा आई तो गबराये रघुराई,
तुम चले उड़ा के पर्वत अध्भुत लीला दिखलाई,
तुम लाये संजीवन भुटटी लक्ष्मण की मुरशा टूटी,
मुर्दे में डाली जान तुम्हारा क्या कहना,
कालखड़ी है धाम तुम्हारा क्या कहना,
जब राम नजर ना आये मोती सारे बिखराये,
तब लंका पति रावण ने बानो से तीर चलाये,
तुम चीर गए थे सीना पल भर की देर करि न,
सीने में सीता राम तुम्हारा काया कहना,
विश्व मंगल हनुमान तुम्हरा क्या कहना,
कालखड़ी है धाम तुम्हारा क्या कहना,