गुरु चरना विच रह के कसमा खावागे
दिन होवे या रात हरि गुण गावागे
छोटा सा सागर है
भरनी असा गागर है
असी वी भर के गागर घर नु जावांगे
दिन होवे या रात हरि गुण गावागे
गुरु चरना......
गंगा प्रेम दिया पकिया नु
कोई तोड नही सकिया
ऐना गंगा नु पकिया होर वी असी पावांगे
दिन होवे या रात हरि गुण गावागे
गुरु चरना........
बंसी सावरे दी बज रही है
प्यारी राधा नच रही है
असी वी बन्सि सुन सुन नच दिखावागे
दिन होवे या रात हरि गुण गावागे
गुरु चरना......
जग रूस्दा ता रूस जावे
जग दी परवा कोई ना सावरा ना रूस जावे
सावरे नु असी आप मनावागे
दिन होवे या रात हरि गुण गावागे
गुरु चरना........