साधो भाई सतगुरु है अवतारा,
गुरु गंगा गुरु गोमती गुरु बद्री कैलाश,
गुरु अड़सठ तीर्थ है लादूदास जिनकी आस,
साधो भाई सतगुरु है अवतारा,
जनम मरण का मेटे दावा, कर दे भवजल पारा,
अमर लोक से सतगुरु आया ,मृत्यु लोक सुधारा,
सतगुरु सोहम शब्द सुनावे ,समझे कोई न प्यारा,
सतगुरु दाता समुद्र समाना ,निपजे पदार्थ सारा,
शिष्य होय रेवे शरण गुरु की, होवे ह्रदय उजियारा,
सतगुरु दाता फूल समाना, परमल है चोपरा,
भ्रंग होय कलियां के लिपटे ,मस्त हुआ जो पतियारा,
गोकुल स्वामी सतगुरु देवा, है जग का उपकारा,
लादूदास आस गुरु की ,ऐसे गुरु को बलियारा,