मैं नीवि मेरा सतगुर उच्चा,
उचिया दे संग लाइ,
सद के जावा एहना उचिया तो मैं,
जिह्ना नीविया नाल निभाई,
मैं नीवि मेरा सतगुर उच्चा
जे मैं वेखा कर्म आपने कुज न पल्ले,
जे मैं देखा रेहमत उसदी,
ता भाग मेरे सवले,
सद के जावा एहना उचिया तो मैं,
धोल रही सी नैया मेरी,
उतो रात हनेरी,
धन दी साहियो प्रीतम मेरे जिहां बांह पकड़ ली मेरी,
सद के जावा एहना उचिया तो मैं,
माली भाग दी राखी करदा,
फल कच्चे हों या पके,
सतगुरु सब ते रेहमत करदा,
भावे पाके हों जा कच्चे,
सद के जावा एहना उचिया तो मैं,