बुलावो जो तुम प्रभु को प्रेम से भुलाना,
प्रेमियों के घर में रहता इनका आना जाना,
बुलावो जो तुम प्रभु को प्रेम से भुलाना,
पासे में दुर्योधन ने जब पांडव हो हराया था,
भरी सबा में जब दोर्पति का जब चीर उतरा था,
प्रेम की आवाज सुन के चीर को बढ़ाया,
प्रेमियों के घर में रहता इनका आना जाना,
सबरी ने बड़े प्रेम से जब उन्हें घर पे भुलाया था,
खाते न निकले बेर स्वयं उन्हें चख के खिलाया था,
झूठे न बेर वो था प्रेम का नजारा,
प्रेमियों के घर में रहता इनका आना जाना,
नानी बाई ने प्रेम भरे जग आंसू ढुलकाये,
बेहला को रोते देख मेरे गिरधर न रह पाए,
चुनड़ी ओढ़ाया देखो जग का पालनहारा,
प्रेमियों के घर में रहता इनका आना जाना,
ये प्रेम पुजारी है ये बस प्रेमी हो ढूंढ़ता है,
जब मिल जाता है प्रेम मेरा नटवर न रुकता है,
शुभम रूपम का कहना भूल न जाना,
प्रेमियों के घर में रहता इनका आना जाना,