रुसेड़ा भक्तां न सांवरीयो मना रयों
मनवार करे कान्हो नरसिलो एन्ठ रयों
नरसी जी क डेरे जद पहुँचे श्याम धणी
पाछो फिरग्यों नरसी रामा श्यामा न करी
बतलायो ना बोले माने ना एक कयो
त्रिलोकी को मालिक या लीला अजब करे
डरतो सो बोल रयों भय जिनसे काल डरे
मने माफ़ करो भक्ता दुखड़ो तो भोत सयों
म्हारी ब्याही सगा माही तू लाज गमा आयो
लेजा आ गांठ तेरी तेरो मायरो ध्यायो
पर इतनी बतादे क्यूँ म्हार से कपट करयो
मुस्का के हरी बोले जेसे इच्छया ह थारी
पोटलिया खाक दबा उठ चाले गिरधारी
नरसी बोल्यो पकड़ो आयेडो जाय रयों
हरी के चरणा माही नरसिलो लिपट गयो
गदगद हो के हरी ने हिवडे से लगा लियो
रामावतार रचना रच, रचता के नीर भयो