धाम खाटू मन भायो मैं दौड़ कावड़ी आयो
बांध गाठरी थारी खातिर माखन मिश्री लायो,
सहरो जिहने मिले श्याम तेरो वो मानषु कभी दुःख ना पावे,
ख़ुशी हो या गम हो चाहे आँख नम हो तेरा नाम ले मुश्करावे,
बने काम व के जीने तेरो नाम रत्न पायो,
धाम खाटू मन भायो मैं दौड़ कावड़ी आयो
हम फूल पौधे तू महारा समबाली,
रे कौन न तेरे बिन गुजरा जब तक जिये हम तेरे ही रहे हम,
ना छूटे कभी ये सहारा,
थारे भरोसे हम ने श्याम जी ओड़ो पेहरो खायो,
धाम खाटू मन भायो मैं दौड़ कावड़ी आयो
दीवानो जब से हुआ श्याम तेरो या देखु तू दे दिखाई,
फूलो में खुसबू छुपी जिस तरह से छवि तेरी मन में समाई,
कहे बलजीत श्याम रंग मेरे तन मन पहरा छायो,
धाम खाटू मन भायो मैं दौड़ कावड़ी आयो