मेरा कन्हैया उस पार है, यमुना में डूबी पतवार है,
तेरे चरणों में सर को झुकाएंगे, सुख दुःख में तेरे ही गुण गायेंगे,
तुम्हें आना पड़ेगा इक बार है, हम सब का तू ही प्राण आधार है,
छायी ये कैसी तेरी माया है,तेरे भगतों पे संकट आया है,
करते सभी तुझसे पुकार है, करना ही तुझको बेड़ा पार है,
यमुना से हम तो पार जाएंगे, ऐसे ही भवसागर तर जायेंगे,
होगा हमारा भी उद्धार है, कान्हा ने थामी पतवार है,
पंडित देव शर्मा
श्री दुर्गा संकीर्तन मंडल
रानियां, सिरसा