हंसा ये पिंजरा नहीं तेरा,
कंकर चुन चुन महल बनाया,
लोग कहे घर मेरा,
ना घर तेरा ना घर मेरा,
चीड़ी आ रेन बसेरा,
हंसा ये पिंजरा नहीं तेरा,
बाबा दादा भाई भतीजा,
चले न संग कोई तेरा,
हठी घोडा माल खजाना पड़ा रहे धन तेरा,
हंसा ये पिंजरा नहीं तेरा,
मात पिता स्वार्थ के लोभी,
करते मेरा मेरा,
कहता कबीर सुनो भाई सादो,
इक दिन जंगल नेरा,
हंसा ये पिंजरा नहीं तेरा,