लगन लगी की करिये हून लगन लगी
ना जी सकिये न मारिये अब लगन लगी,
लगन लगी की करिये हून लगन लगी
तुम सुनो हमारे बेना मोहे रात दिने नही चैना,
हूँ पी बिन पलक न सरिये न जी सकिये न मरिये,
लगन लगी की करिये हून लगन लगी
पल्ले पई मुसीबत भारी कोई करो हमारी कारी,
एहो जे दुःख कैसे चरिये न जी सकिये न मरिये,
लगन लगी की करिये हून लगन लगी
है अगन की रोहदी जारी कोई हमरी प्रीत निवारी,
बिन दर्शन कैसे तरिये ना जी सकिये न मरिये,
लगन लगी की करिये हून लगन लगी