मेरी नईया में लक्ष्मण राम,
नदियां धीरे बहो,
मेरी नईया में सीता राम
नदियां धीरे बहो,
बड़े भाव से ये दिन आया,
चरण धोये चरणामित पाया,
मेरे बन गये बिगड़े काम,नदियां धीरे बहो,
मेरी नईया में लक्ष्मण राम
इनके सहारे छोड़ दे नइयां,
बन जायेगे खुद ही खिवैयाँ
ये तो कर देंगे भव से पार नदियां धीरे बहो,
मेरी नईया में लक्ष्मण राम
मेरे प्रभु की लीला है न्यारी,
असुर संगारन मनुद हज़ारी,
इनकी महिमा है अपराम पार,
नदियां धीरे बहो,
मेरी नईया में लक्ष्मण राम
राम लखन सिया पार उतारे,
सोच रहे जब गंगा किनारे,
उतराई में क्या दू दाम नदियां धीरे बहो,
मेरी नईया में लक्ष्मण राम