शिव तो ठहरे सन्यासी गौरा पछताओगी,
भटको गी वन वन में चल नही पाओगी,
शिव तो ठहरे सन्यासी गौरा पछताओगी,
महलो में तू रही गोरा राज कुमारी बन के,
भांग और धतूरे के रगड़ तुम लगाओ गी,
शिव तो ठहरे सन्यासी गौरा पछताओगी
तन पे भभूती उनके पहने मर्ग शाला है,
देख के रूप उनका गिरा डर जाउगी,
शिव तो ठहरे सन्यासी गौरा पछताओगी
गोरा बोली सखियों से तुमें क्या पता सखियों,
कैसा वर पाया मैंने तुम कहा से लाओ गी,
शिव तो ठहरे सन्यासी गौरा पछताओगी