भाजन दे रे भोले नाथ डमरू भाजन दे,
कैलाश में बैठा डेरा जमा के,
माँ पारवती भी साथ डमरू भाजन दे,
तन में अपने बसम रमा के भांग का इक गोला भी खा के,
तू तो रटन लग रे ुडाम डमरू भाजन दे,
नन्दी थारा द्वार पे बैठा सेवा थी करता रहता
कहे छोडू न तेरा साथ डमरू भाजन दे
माँ गंगा ताहरी जटा में विराजे,
दुनिया का सब पाप मिटाके,
माँ बैठी है हरिद्वार,डमरू भाजन दे
छोटी सी है अर्ज हमारी,
सागर की अब आ गई बारी,
छोटी सी है अर्ज हमारी,
लेहरी सागर की बारी दो भव सागर से पार,
डमरू भाजन दे