जै भोलेनाथ शंभू जै भोलेनाथ,
शिव शंकर की जटा में गंगा जा बैठे कैलाश………
कितने सुंदर भोलेनाथ कितने प्यारे शंभू नाथ,
कोई पुकारे त्रिपुरारि तो कोई विश्वनाथ,
कितने सुंदर भोलेनाथ……..
एक हाथ त्रिशूल विराजे डमरू साथ लिया है,
ज़हरिले सृपो को अपने कंठ पे धार किया है,
दुशटों के संहारक बाबा, दीनो के हैं नाथ,
कितने सुंदर भोलेनाथ……..
भोले के संग पार्वती मां, मंद मंद मुस्काए,
गोदी में है गणपति लला मोदक भोग लगाए,
शिवशक्ति के चरणों में सब आओ टेकें माथ,
कितने सुंदर भोलेनाथ……..
करुणा के सागर हैं शंकर महांदेव कहलाए,
इन की कृपा से रहे ना वंचित जो भी शरण में आए,
शीश पे शम्मी के रखते हैं हाथ त्रिलोकी नाथ,
कितने सुंदर भोलेनाथ कितने प्यारे शंभू नाथ…..