फागुन के रंग श्याम के संग में अच्छे लगते है,
दर पे श्याम के जब मेले लगते है,
लेकर के निशान हाथ में चले है दीवाने,
रंग चढ़ा है श्याम धनि का हो गये मस्ताने,
सज धज के ये चली है झांकी डी जे बजते है,
दर पे श्याम के जब मेले लगते है,
दिन ग्यारस का रात ग्यारस की नाम बाबा के है,
शीश झुकाने आ आ गये हम तो धाम बाबा के है,
जलवे मेरे सेठी श्याम के खूब बिखर ते है,
दर पे श्याम के जब मेले लगते है,
सामने हो सरकार हमारे दिल ये मचलता है,
यहाँ भी देखो सेठ श्याम का जादू चलता है,
राज मेहर के फूल यही तो खिलते है,
दर पे श्याम के जब मेले लगते है,