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श्री जगन्नाथ अष्टकम

कदाचित कालिन्दी तट विपिन सङ्गीत तरलो
मुदाभीरी नारी वदन कमला स्वाद मधुपः
रमा शम्भु ब्रह्मामरपति गणेशार्चित पदो
जगन्नाथः स्वामी नयन पथ गामी भवतु मे
जगन्नाथः स्वामी नयन पथ गामी भवतु मे।।

भुजे सव्ये वेणुं शिरसि शिखिपिच्छं कटितटे
दुकूलं नेत्रान्ते सहचर कटाक्षं विदधते ।
सदा श्रीमद-वृन्दावन वसति लीला परिचयो
जगन्नाथः स्वामी नयन पथ गामी भवतु मे
जगन्नाथः स्वामी नयन पथ-गामी भवतु मे।।

महाम्भोधेस्तीरे कनक रुचिरे नील शिखरे
वसन् प्रासादान्तः सहज बलभद्रेण बलिना ।
सुभद्रा मध्यस्थः सकलसुर सेवावसरदो
जगन्नाथः स्वामी नयन पथ गामी भवतु मे
जगन्नाथः स्वामी नयन पथ-गामी भवतु मे।।

कृपा पारावारः सजल जलद श्रेणिरुचिरो
रमा वाणी रामः स्फुरद अमल पङ्केरुहमुखः ।
सुरेन्द्रैर आराध्यः श्रुतिगण शिखा गीत चरितो
जगन्नाथः स्वामी नयन पथ गामी भवतु मे
जगन्नाथः स्वामी नयन पथ गामी भवतु मे।।

रथारूढो गच्छन् पथि मिलित भूदेव पटलैः
स्तुति प्रादुर्भावम् प्रतिपदमुपाकर्ण्य सदयः ।
दया सिन्धुर्बन्धुः सकल जगतां सिन्धु सुतया
जगन्नाथः स्वामी नयन पथ गामी भवतु मे
जगन्नाथः स्वामी नयन पथ गामी भवतु मे।।

परंब्रह्मापीड़ः कुवलय-दलोत्‍फुल्ल नयनो
निवासी नीलाद्रौ निहित-चरणोनन्त शिरसि ।
रसानन्दी राधा सरस वपुरालिङ्गन सुखो
जगन्नाथः स्वामी नयन पथ गामी भवतु मे
जगन्नाथः स्वामी नयन पथ गामी भवतु मे।।

न वै याचे राज्यं न च कनक माणिक्य विभवं
न याचे सहं रम्यां सकल जन काम्यां वरवधूम् ।
सदा काले काले प्रमथ पतिना गीतचरितो
जगन्नाथः स्वामी नयन पथ गामी भवतु मे
जगन्नाथः स्वामी नयन पथ गामी भवतु मे।।

हर त्वं संसारं द्रुततरम् असारं सुरपते
हर त्वं पापानां विततिम् अपरां यादवपते ।
अहो दीनेसनाथे निहित चरणो निश्चितमिदं
जगन्नाथः स्वामी नयन पथ गामी भवतु मे
जगन्नाथः स्वामी नयन पथ गामी भवतु मे।।

जगन्नाथाष्टकं पुन्यं यः पठेत् प्रयतः शुचिः
सर्वपाप विशुद्धात्मा विष्णुलोकं स गच्छति।।

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