गाड़ी बंगले ये दौलत,
चले जाएँगे ।
यारों माटी में एक दिन,
ये मिल जाएँगे ।।
गर्व किसका रहा,
पढ़लो इतिहास को ।
लाँघ पाये न कोई,
मौत के फाँस को।।
बन्धु-माता-पिता सब,
चले जाएँगे ।
यारों माटी में एक दिन,
ये मिल जाएँगे ।।
राजा बलि कोई था,
कोई रावण रहा ।
एक कहानी बची,
और कुछ ना रहा ।।
जो हुए हैं धरा में,
वो मिल जाएँगे ।
यारों माटी में एक दिन,
ये मिल जाएँगे ।।
क्रूर दानव महा,
ऊधमी कंस था ।
मिल गया धूल में,
काल का दंश था ।
जन्म लेकर प्रभु,
फिर चले जाएँगे ।
यारों माटी में एक दिन,
ये मिल जाएँगे ।।
गर्व करना नहीं कान्त,
अपना कभी ।
प्रेम करलो तो है,
जग ये अपना सभी ।।
तेरे अच्छे करम,
जग में रह जाएँगे ।
यारों माटी में एक दिन,
ये मिल जाएँगे ।
भजन रचना : दासानुदास श्रीकान्त दास जी महाराज ।