इधर माँ मनसा है,
उधर माँ चंडी है,
बीच में गंगा जी की धार,
छटा है स्वर्गो सी भीड़ है भक्तो की पावन है भगतो हरिद्वार.
ये पावन द्वारा है माँ का,
इधर माँ मनसा है उधर माँ चंडी है बीच में गंगा जी की धार
उड़न खटोले चल के मनसा के दवारे जाये,
ध्वजा नारियल चुनरी माँ मनसा को चडआये
मनसा पूरी हो गई हो गई एसा है दरबार,
इधर माँ मनसा है उधर माँ चंडी है बीच में गंगा जी की धार
उचे पर्वत बेठी देखो माँ चंडी भवानी,
आधी शक्ति जगदम्बा माँ अम्बे मात भवानी,
चरणों में मांग लो खुशियों का संसार,
इधर माँ मनसा है उधर माँ चंडी है बीच में गंगा जी की धार
बीच में दो मंदिरों के बहती गंगा की धरा,
हरी की पोडी भगतो है हरी चरणों का द्वारा,
भव की है तारनी माँ गंगा की धार,
इधर माँ मनसा है उधर माँ चंडी है बीच में गंगा जी की धार