राम भक्त राम आगया चले है निभाने को,
चले हनुमान लंका सिया सुध लाने को,
जब हनुमान निचे लांग है लगाई,
पथरो पे चरणों की छाप है आई,
राम चले सागर वो अपने वेग से,
काँप उठा सारा मंडल उनके तेज से,
पर्वत में नथ आया सेवा भाव निभाने को,
चले हनुमान लंका सिया सुध लाने को,
राह में सुरसा मिली उनको खाने को,
बोले माँ जाने दे प्रभु वचन निभाने को,
आगे सिंघी ने उनकी पकड़ी परछाई,
हनुमत ने वो भी यम लोक पौंचाई,
वीर बजरंगी तब उड़े लंका जाने को,
चले हनुमान लंका सिया सुध लाने को,
पहुंच के लंका माता सिया से मिली है,
उनसे राम जी के वचन कहे है,
मात आज्ञा से तब फल है खाये,
वाटिका के सारे दानव मार गिराये,
बजरंगी क्रोध में लगे लंका जलाने को,
चले हनुमान लंका सिया सुध लाने को,