कान्हा तोरी बंसी

कान्हा तोरी बाँसुरी बड़ी ढीढ ,
देख मोहे चिड़ावै है,

मुँह लगी मुँह जोर बड़ी है,
जब देखो करने कू रार ठढ़ी है,
तोड़ डालूँगी नारायण की सों,
सौत मोहे बतावै है,
कान्हा तोरी बाँसुरी बड़ी ढीढ,
देख मोहे चिड़ावै है

सगरी गैंयां और गोपी ग्वाले,
तान सुन इसकी झूमते मतवाले,
पर मोहे तो देती पीर ,
है ये बडी शरीर ,
देख मोहे सतावै है,
कान्हा तोरी बाँसुरी बड़ी ढीढ ,
देख मोहे चिड़ावै है,
तोड़ डालूँगी नारायण की सों ,
सौत मोहे बतावै है,
देख मोहे सतावै है,

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