तारो या ना तारो कन्हैया तू ही हो बाबा तू ही हो मियां,
लेता रहुगा तेरा नाम ज़िंदगी लिख दी है कान्हा तेरे नाम,
चाहे जग ये रूठे तेरा साथ ना छूटे,
हर पल तेरे गुण मैं गाउ,
तेरे चरणों में जीवन बिताऊ,
श्याम तुझको मनाता रहु मैं साथ तेरा में पाता राहु,
चाहे सुबहो चाहे श्याम ज़िंदगी लिख दी है श्यामा तेरे नाम
तू ही है पालनहारा तू ही है जग रखवाला,
बिन तेरे चले न गुजारा भटके का तू ही सहारा,
दीं दुखी जो तुझे पुकारे श्याम बिगड़े काज सवार,
तू ही तो आते है उसके काम,ज़िंदगी लिख दी है कान्हा तेरे नाम,
जब जब तुझको निहारु तुझ में ही खो जाऊ,
तुझसे नाता मेरा टूट ना जाये पल पल ये दर है मुझको सताये,
तू ही माझी तू ही किनारा तू ही जीवन तू ही साहरा,
तुझसे ही मेरी पहचान ज़िंदगी लिख दी है कान्हा तेरे नाम,