साँवरिया क्यों हमे इतना,
सताकर मुस्कुराते हो,
हमारी जान जाती है,
मुरलियाँ तुम बजाते हो।।
उड़ा दी नींद रातों की,
हमारा दिल चुराकर के,
बता दो राज ए दिल अपना,
थके हम तो मनाकर के,
सजा देकर के भी हमको,
हमसे आँखे चुराते हो।।
तुम्हारा प्यार पाने को,
अपना सबकुछ लुटा बैठे,
दिए जो गम जमाने ने,
उन्हें भी हम भुला बैठे,
धरोहर लूट गई सारी,
प्यार क्यों ना जताते हो।।
अपने रुतबे का ऐ मोहन,
गरुर इतना नहीं अच्छा,
मनाकर तुमको मानेंगे,
इरादा है नहीं कच्चा,
सुना है प्रेम की खातिर,
प्रभु तुम दौड़े आते हो,
साँवरिया क्यों हमे इतना,
सताकर मुस्कुराते हो,
हमारी जान जाती है,
मुरलियाँ तुम बजाते हो।