जीवन की सूनी राहों में जब जब दिल घबराता है
खाटू वाला हाथ पकड़ कर मुझको राह दिखता है
मेरी हर दुःख तकलीफों को सेठ शीमा ने टाला है
आधी रात को भी बाबा ने आकर मुझको संभाला है
मुश्किल के आने से पहले श्याम मेरा आ जाता है
खाटू वाला हाथ पकड़ कर मुझको राह दिखता है
ये दुनिया है मौसम जैसी पल में रंग बदलती है
जिनके सितारे आसमानो में उनके साथ ही चलती है
हम जैसे टूटे तारो का श्याम ही साथ निभाता है
खाटू वाला हाथ पकड़ कर मुझको राह दिखता है
मुझ जैसे कंकर को तूने मोती का स्वरुप दिया
बिन मांगे ही श्याम सलोने तूने मुझको खूब दिया
आज तुम्हारे दम पे माधव दुनिया में इतराता है
खाटू वाला हाथ पकड़ कर मुझको राह दिखता है