सत्संग कीर्तन करले जिन्दे मेरे

सत्संग कीर्तन करले जिन्दे मेरे जे भव सागर पार लंगना,
कई तर गे गुरा ने कई तारे जिह्ना ओह हरी नाम जपेया,
सत्संग कीर्तन करले जिन्दे मेरे जे भव सागर पार लंगना,

माता पिता जे किती न सेवा ओहना की आ पार लंगना,
माता पिता दी किती जिह्ना सेवा ओहना दे वेहड़े पार हो गये,
सत्संग कीर्तन करिये जिन्दे मेरे जे भव सागर पार लंगना,

साधु संता दी किती जी न सेवा ओहना की आ पार लंगना
साधु संता दी किती जिह्ना सेवा ओहना दे वेहड़े पार हो गये,
सत्संग कीर्तन करिये जिन्दे मेरे जे भव सागर पार लंगना,

जिह्ना किती  ना गुरा दी सेवा ओहना की आ पार लंगना,
जिह्ना किती आ गुरा दी सेवा ओहना दे वेहड़े पार हो गये,
सत्संग कीर्तन करिये जिन्दे मेरे जे भव सागर पार लंगना,

जिह्ना भूख्या दो रोटियां ना खवइयाँ ओहना की आ पार लगना,
जिह्ना भूख्या दो रोटियां खवाइयाँ ओहना दे वेडे पार हो गये,
सत्संग कीर्तन करिये जिन्दे मेरे जे भव सागर पार लंगना,

श्रेणी
download bhajan lyrics (1115 downloads)