मैया के मन की ये रानी,
बाबा का आँगन छोड़ चली।
भैया जी सर पे चढ़ावे
बलईया लेती भाभियाँ भी...
नानी गाये दादी झुमे नाचे,
दुवा में दे सारी खुशी
दशरथ जी के घर जाए,
बना हो राम की छवि
सिख की ओ टलिया लेकर,
बीच पिया के बिटिया चली
पीछे पलट बस बोले,
के जा रहे पुराने घर भी
मैया के मन की ये रानी,
बाबा का आँगन छोड़ चली