वारिश हो रही मंदी मंदी पुरवा चल रही ठंडी ठंडी,
है मौसम काफी मस्त मिजाज पीला दे भंगियाँ गोरा आज,
घोटक घोटक तेरियां भंगियाँ पड़ गये छाले गिस उंगलियां,
होये है घ्याल दोनों हाथ ना घोटु भंगियाँ भोले नाथ,
गोला बना दे घोट घाट के काजू पिस्ता ढाल छात के,
तुमसे नातो तोड़ ताड़ के पीहर चली तुम्हे छोड़ छाड़ के,
दिखावे मत टेढ़ो अंदाज,पीला दे भंगियाँ गोरा आज,
हाथो के सब छाले फूटे दर्द के मारे छके छूटे,
गोरा मुझसे भांग न छूटे तू रूठे चाहे दुनिया रूठे,
दिया न दुःख में मेरा साथ,ना घोटु भंगियाँ भोले नाथ,
लिखी अनाड़ी गाये चौधरी जल्दी से मेरी भागन घोट री,
भरी भांग से कई कोठरी देख देख मेरी घूमे खोपड़ी,
क्यों होती खामे खा नाराज पीला दे भंगियाँ गोरा आज,
ना घोटु भंगियाँ भोले नाथ,