पंचा अक्शर मंत्र जग में निराला जो भी जपे पाए सुख का प्याला
अंतर आत्मा में शिव है समाते मन में बनता शिव का शिवाला
तेरे हिरदये में शिव है समाये भज ले अब तू ॐ नमः शिवाये
ध्यान धर ले पा ले शिव को शिव में रम कर बुल जा जग को
औह्ढ़दानी की भगती पा ले कर दे जीवन समर्पित शिव को
सांसे तेरी अब शिव को बुलाये भज ले अब तू ॐ नमः शिवाये
शिवलिंग पे बेल पत्र चड़ा दे शम्बू को गंगा अश्नान करा दे
सत्य शिव है सुंदर वो है हिरदय में शिव की ज्योति जला दे
त्रिपुरारी तेरे दुःख को मिटाए भज ले अब तू ॐ नमः शिवाये