दोहा :- न पल मे यु महान न होते
गदा हाथ लिये बलवान न होते
न विजय श्रीराम की होती
अगर पवनपुत्र हनुमान न होते
आज्ञा नहीं है माँ मुझे, किसी और काम की
वरना भुजाएँ तोड़ दू, सौगंध राम की
लंका पाताल ठोक दू, रावण के शान की
जिन्दा जमी मे गाढ़ दू, सौगंध राम की
ना झूठी शान करू, ना अभिमान करू
प्रभु का ध्यान धरु, राम गुण गान करू
सच्चे दया के धाम है वो, रघुकुल की शान है
बल हु मै बल के धाम है वो, सौगंध राम की
विश्वास करलो माँ मेरी, आयेंगे राम जी
रावण को मार कर तुम्हे, ले जायेंगे राम जी
तब तक न खोना धैर्य माँ, तुम्हे सौगंध राम की
रावण को मार कर प्रभु , बैठे विमान पर
बोली यु सीता कर कृपा, अंजनी के लाल पर
लहरी कहा जो कर दिया, सौगंध राम की