महावीर हनुमान गोसाई, हम है तुमरे शरणाई।
सिंधूर सजीली प्रतिमा, मंदिर में मेरे समाई।
एक हाथ गदा तोहे सोहे, एह हाथ गिरिधारी।
दर्शन करत मोरी अखियाँ, भक्ति की ज्योति जगाये॥
वानर मुखमंडल प्यारा,दर्शन से मिटे भय सारा।
है दिव्य नयन, ज्योतिर्मय, हर ले जीवन अँधियारा।
श्री राम नाम की चदरिया, तन पे तुम्हारे लहराई॥
जिसपर कृपा हो तुम्हारी, बन जाये बिगड़ी सारी।
वह राम भक्ति पा जाए, तुम करते नित रखवाली।
तन की साँसों से जपूं मैं, हनुमान सिया रघुराई॥