मेरे मन मंदिर के राम, गुरु बिन कोई नहीं
लिया गुरु रूप अवतार, हरि बिन कोई नहीं
कोई नहीं मेरा, कोई नहीं l
मेरे मन मंदिर के राम,,,,,,,,,,,,,,,,,,
मन की दौड़ को, तुमने ही थामा
तुमको है, कोटि कोटि प्रणामा ll
कर दे जो, क्षण में निहाल, गुरु बिन कोई नहीं
कोई नहीं मेरा, कोई नहीं
मेरे मन मंदिर के राम,,,,,,,,,,,,,,,,,,
जिसको गुरु, इक्क वार निहारे
दिख जाए भीतर, उसको नज़ारे ll
मेटे जो, व्यर्थ ख्याल, गुरु बिन कोई नहीं
कोई नहीं मेरा, कोई नहीं
मेरे मन मंदिर के राम,,,,,,,,,,,,,,,,,,
ज्योति श्रुति, सुरति में तुम हो
काल मति और, गति में तुम हो ll
बिन साज़, सुनाए ताल, गुरु बिन कोई नहीं
कोई नहीं मेरा, कोई नहीं
मेरे मन मंदिर के राम,,,,,,,,,,,,,,,,,,
सारे जहाँ का, मूल तुम्ही हो
मन का खिलाते, फूल तुम्ही हो ll
जो कालों के, महांकाल, गुरु बिन कोई नहीं
कोई नहीं मेरा कोई नहीं
मेरे मन मंदिर के राम,,,,,,,,,,,,,,,,,,
तन में रहते, धड़कन बनके
मन में रहते, याद हो बनके ll
संग रहे जो, बनके ढाल, गुरु बिन कोई नहीं
कोई नहीं मेरा, कोई नहीं
मेरे मन मंदिर के राम,,,,,,,,,,,,,,,,,,
सब से निराली, इनकी आभा
गुरु भक्ति से, लाभ ही लाभा ll
जो है, ज्ञान की अमर मशाल, गुरु बिन कोई नहीं
कोई नहीं मेरा, कोई नहीं
मेरे मन मंदिर के राम,,,,,,,,,,,,,,,,,,
गुरु बिन होता न, कारज कोई
जो है ईश्वर, गुरु भी है वो ही ll
जो, पर्म-पुरष अकाल, गुरु बिन कोई नहीं
कोई नहीं मेरा, कोई नहीं
मेरे मन मंदिर के राम,,,,,,,,,,,,,,,,,,
अपलोडर- अनिल रामूर्ति भोपाल