मेरे गुरु महाराज दी किरपा बड़ी,
मेरी राखियां किती हर घडी,
मैनु अपना सेवक बना लिया,
राह डिगे न आप उठांदे गल नल गुरु जी अपने लाण्डे,
मेरी मन दी हर गल सुन ले मेरी विपदा गुरु जी ने हर लई,
मैनु अपने दर ते भुला लिया मैनु अपना सेवक बना लिया,
मेरी राखियां किती हर घडी,
मैनु अपना सेवक बना लिया,
मेहरा करदे मेहरा वाले सब दे बिगड़े काज सवारे,
मेरी अरजा होइयाँ कबूल दर ते किरपा दा हाथ राखियां सिर ते,
मैनु अपने कॉल भुला लिया मैनु अपना सवाल बना लिया....
अपनी रेहमत करदो सब ते तुम हो दाता असि मंगते दर दे,
मेरी दुबड़ी तार दी बेड़ी जी मेरी बाह पकड़ी हर वेले जी,
मैनु बुरी नजर तो बचा लिया मैनु अपना सेवक बना लिया,